16 दिसंबर से शुरू हो रहा ‘खरमास’

16 दिसंबर 2022 को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास प्रारंभ हो जाएगा। इसके बाद सभी तरह के शुभ संस्कारों पर रोक लग जाएगी

ज्योतिषाचार्य ऋषिकेश शुक्ल नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र फूलपुर प्रयागराज
ज्योतिषाचार्य ऋषिकेश शुक्ल नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र फूलपुर प्रयागराज

16 दिसंबर से शुरू हो रहा ‘खरमास’

हिन्दू सनातन धर्म में विवाह के लिए शुभ कारक ग्रह सूर्य को माना जाता है जोकि 16 दिसंबर 2022 को धनु राशि मेें प्रवेश कर रहे है(रात्रि 08:10)बजे पर , ऊर्जा कारक ग्रह सूर्य जब धनु राशि मेें प्रवेश करते है, तब उसकी ऊर्जा कम हो जाती है। इसे सूर्य का मलिन होना भी कहा जाता है। सूर्य ग्रह जब तक मलिन अवस्था में होते है अर्थात धनु राशि में विद्यमान रहते है, तब तक शुभ संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता। सूर्य के धनु राशि में रहने के काल को खरमास कहते हैं। सूर्य जब 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसके बाद ही शुभ संस्कार किए जा सकता है।

 

सूर्य के धनु राशि में रहने के काल को खरमास कहते हैं। सूर्य जब 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसके बाद ही शुभ संस्कार किए जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल के अनुसार गत 04नवंबर 2022को हरि प्रबोधिनी एकादशी को चातुर्मास का समापन हुआ था। हरि प्रबोधिनी एकादशी से विवाह संस्कार शुरू होना था। लेकिन उस दौरान शुक्र ग्रह तारा अस्त होने के कारण शुभ विवाह नहीं हुए। 21 नवंबर 2022 को शुक्र तारा उदित होने के पश्चात 24 नवंबर2022 से विवाह मुहूर्त शुरू हुए थे। अब 14 दिसंबर 2022 को आखिरी शुभ मुहूर्त है। इसके बाद 16 दिसंबर 2022 को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास प्रारंभ हो जाएगा। इसके बाद सभी तरह के शुभ संस्कारों पर रोक लग जाएगी। एक माह तक विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ आदि संस्कारों पर रोक रहेगी।

धनु और मीन संक्रांति को मानते हैं अशुभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक साल में 12 संक्रांति आती है। सूर्य जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, उस काल को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य का जब गुरु की राशि धनु राशि में प्रवेश होता है, तब उसे धनु संक्रांति कहते हैं। जब गुरु की राशि मीन राशि में प्रवेश करता है, तब उसे मीन संक्रांति कहा जाता है। इन दोनों राशि में सूर्य जब प्रवेश करता है, तब उसे अशुभ काल माना जाता है।
ज्योतिष धर्म शास्त्रीय मान्यता है कि सूर्य के रथ को सात घोड़े खींचते हैं। सूर्य का रथ निरंतर गतिमान रहता है, जिससे पूरे ब्रह्मांड में प्रकाश फैलता है। यह भी मान्यता है कि सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के दौरान घोड़ों को प्यास लगी। चूंकि रथ को रोका नहीं जा सकता, इसलिए घोड़ों की जगह गधों यानी खर को रथ खींचने के लिए लगाया गया। इससे रथ की गति मंद पड़ गई और सूर्य की ऊर्जा कम हो गई। इस मास को खरमास की संज्ञा दी गई। एक माह के इस काल को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना गया है। हजारों, लाखों साल से खरमास में शुभ कार्य नहीं करने की परंपरा चली आ रही है।

इन शुभ कार्यों पर रहेगी रोक

सगाई, विवाह नहीं करना, जमीन, मकान, संपत्ति नहीं खरीदना, नया व्यापार प्रारंभ नहीं करना, मुंडन, कर्णबेधन नहीं करना, धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना

मकर संक्रांति से शुभ कार्य

सूर्य जब एक माह बाद मकर संक्रांति में प्रवेश करेगा, जिसे मकर संक्रांति काल कहा जाता है। साथ ही इसे सूर्य उत्तरायण का काल भी कहा जाता है। उत्तरायण काल में तिल, गुड़ का दान करने के बाद शुभ संस्कार किए जा सकेंगे।

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