गुड़विल पब्लिक स्कूल को शिक्षा विभाग का नोटिस जारी

खंड शिक्षा अधिकारी का दावा नोटिस का जवाब आने के बाद होगी उचित कार्यवाही

गाँव लहरिया न्यूज़/पट्टी

पट्टी में इन दिनों एक अभिवावक और एक स्कूल प्रबंधक के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। मामले की शुरुवात एक बच्चे के चोटिल होने से हुई जिसमें अभिवावक का आरोप है की उसके चोटिल पुत्र के उपचार में लापरवाही बर्ती गई जबकी प्रबंधक का कहना है कि उसने जो कर सकते थे किया। पूरे मामले में को लेकर अभिवावक ने पुलिस समेत तमाम विभागों में शिकायत कर उचित कार्यवाही की मांग की है।

गाँव लहरिया रिपोर्टर ने पूरे मामले को प्रकाशित किया और सभी पक्ष से बात भी किया किसने क्या कहा आप भी पढ़िए…..

खंड शिक्षा अधिकारी का दावा नोटिस का जवाब आने के बाद होगी उचित कार्यवाहीखंड

खंड शिक्षा अधिकारी पट्टी गुलाब चंद ने गांव लहरिया से बातचीत के दौरान बताया कि इस विषय में विद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है मामले की जांच की जा रही है तथा यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो कठोर कार्यवाही की जाएगी, दोषी बक्शा नहीं जाएगा । आगे उन्होंने विद्यालयों को निर्देश देते हुए कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप मानकों को पूर्ण रखें ।

क्या कहते हैं आरोपी प्रबंधक/प्रधानाचार्य

विद्यालय के प्रबंधक मनीष कुमार गुप्ता ने बताया बच्चे के अभिभावक द्वारा लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद है, बच्चे को खेलते वक़्त चोट लगी, सूचना मिलने पर नीचे ऑफिस मे लाएं, जहां बच्चे का प्राथमिक उपचार दिया गया ताकि बच्चे का ब्लड रुक जाए, इसके बाद अभिभावक को सूचना भी दी गई, इस क्रम में अभिभावक ने बताया कि वे बाहर थे, और छोटे भाई को भेजेंगे इसके 15 मिनट मे बच्चे के अभिभावक आ गए, जो बच्चे को साथ लेकर गए, फिर घटना के दूसरे दिन बच्चे के पिता विद्यालय आए और कहने लगे कि हमारे बच्चे को टांका लगा है, और एफआईआर करने की धमकी देने लगे, बदतमीजी की तो मैंने कहा विद्यालय की जो नैतिक जिम्मेदारी थी उन सभी का मैंने निर्वहन किया, अब इन सबके बाद भी आपको जो करना है आप करिए आप स्वतंत्र है ।

क्या कहते हैं चोटिल बच्चे के पिता

बच्चे के पिता ने बातचीत के दौरान बताया कि ये सच है कि मेरे बच्चे को चोट, खेलते वक्त लगा। ये भी सच है कि मैम लोग जानकारी के बाद बच्चे को ऑफिस भी लायी । परन्तु मेरा सवाल ये है कि जब चोट इतनी गंभीर थी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर को तीन से चार टांके लगाने पड़े, तो विद्यालय परिवार प्राथमिक उपचार के नाम पर 40 मिनट क्या कर रहे थे, जबकि बच्चा हॉस्पिटल मे भी अचेत था और काफी देर बाद होश में आया । इस प्रकार से बच्चे की जान जा सकती थी, तथा जब उन्होंने विद्यालय में शिकायत करनी चाही तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया तथा बच्चे को निकाल देने की धमकी दी गई ।

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