आज है दीवाली वाली हनुमान जयंती, आज के ही दिन माता अंजनी के गर्भ से हुआ था हनुमान जी का जन्म

साल में दो बार मनाई जाती है,संकट मोचन हनुमान की जयंती

गाँव लहरिया न्यूज़/पट्टी

संकट मोचन हनुमान की जयंती साल में दो बार मनाई जाती है. हनुमान जयंती पहली बार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है वहीं दूसरी बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को साल में दूसरी बार ये जयंती मनाई मनाई जाती है. साल में दो बार हनुमान जयंती मनाने को लेकर लोगों के मन में कई सवाल भी उठता है. आपके मन मे भी इसको लेकर कुछ सवाल हैं तो आज ही आप अपना कन्फ्यूजन दूर कर लिजिए. इस सवाल का सही जवाब काशी के ज्योतिषाचार्य सर्वेश शास्त्री जी से ..

ज्योतिषाचार्य सर्वेश शस्त्री ने बताया कि दो अलग-अलग तिथियों पर हनुमान जयंती मनाने के पीछे अलग-अलग वजहें और धार्मिक कथा जुड़ी है. एक कथा हनुमान जी के जन्म से जुड़ा है तो दूसरा कथा उनके मूर्छित होने के बाद दोबारा जन्म लेने से जुड़ी है.

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हनुमान जी का जन्म

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हनुमान जी के जन्म की बातें कई धार्मिक पुस्तक में लिखी गई है. कथाओं के अनुसार इसी दिन हनुमान जी का जन्म माता अंजनी के गर्भ से हुआ था. वायु पुराण में हनुमान जी के जन्म के बारे में कुछ इस प्रकार बताया गया है।

आश्विनस्या सितेपक्षे स्वात्यां भौमे च मारुतिः। 

मेष लग्ने जनागर्भात स्वयं जातो हरः शिवः।।

अर्थ – हनुमान जी का जन्म कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मंगलवार के दिन स्वाति नक्षत्र के मेष लग्न में हुआ था।

कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को जन्में हनुमान जी

इस श्लोक के अनुसार भी हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन हुआ था। कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि के दिन छोटी दीपावली मनाई जाएगी।

ऊर्जे कृष्णचतुर्दश्यां भौमे स्वात्यां कपीश्वरः।
मेष लग्ने अन्जनागर्भात प्रादुर्भूतः स्वयं शिवा ।।

 हनुमान जी पर वज्र प्रहार के बाद चैत्र मास की पूर्णिमा को मिला था दूसरा जीवन

ज्योतिषाचार्य सर्वेश शास्त्री ने बताया कि चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है. इसके पीछे पौराणिक कथा है कि बचपन में निद्रा से जागने के बाद भूख से बेहाल मारुति नंदन ने पेड़ के करीब लाल पका फल देखा तो वी उसके ओर बढ़ गए. दरसअल,वो कोई फल नहीं बल्कि सूर्यदेव थे. उस समय राहु सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे लेकिन हनुमान को तेजी से उनकी ओर बढ़ता देख वो डर गए. इसके बाद वो मदद के लिए सीधे इंद्रदेव के बाद पहुंचे. तभी वहां देवराज इंद्र प्रकट हो गए. उन्होंने हनुमान पर वज्र प्रहार कर उन्हें मूर्छित कर दिया. ज्योतिषाचार्य सर्वेश शास्त्री ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार हनुमान जी पवन पुत्र माने जाते हैं. ऐसे में पवनदेव को जब इस घटना के बारे में पता चला तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने वायुमंडल से वायु का प्रवाह रोक दिया. जिसके बाद ब्रह्मा, अन्य देवताओं के साथ वायुदेव के पास जाते हैं और हनुमान जी को दूसरा जीवन प्रदान करते हैं. इसके अलावा सभी देवता उन्हें अपनी शक्तियां प्रदान करते हैं. इसी दिन हनुमान जी को दूसरा जीवन मिलता है. यह घटना चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि थी, तब से इस तिथि पर भी हनुमान जयंती मनाई जाती है.

 

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