“Health Misinformation in Social Media Advertising” – डिजिटल युग में स्वास्थ्य जागरूकता की अनिवार्यता

आज के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं का प्रसार जितना आसान हुआ है, उतनी ही तेजी से भ्रामक और झूठी जानकारियाँ भी फैल रही हैं। इसी गंभीर मुद्दे पर फातिमा किर्मानी की पुस्तक “Health Misinformation in Social Media Advertising” शोध-आधारित विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक पार्थ पब्लिकेशन, देहरादून द्वारा प्रकाशित की गई है, जो अकादमिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित उच्च-स्तरीय लेखन को प्रोत्साहित करता है।

पुस्तक की विशेषताएँ:

1. फेक न्यूज और स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी का विश्लेषण: पुस्तक में इस बात की पड़ताल की गई है कि स्वास्थ्य से संबंधित गलत सूचनाएँ कैसे लोगों की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती हैं।

2. सोशल मीडिया विज्ञापन और नैतिकता: इसमें बताया गया है कि विज्ञापन रणनीतियाँ कैसे मिथ्या तथ्यों का उपयोग कर उपभोक्ताओं को गुमराह करती हैं और इसके सामाजिक प्रभाव क्या हैं।

3. नीतिगत समाधान और सुझाव: पुस्तक केवल समस्या को उजागर करने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इस misinformation से बचाव और सही सूचनाओं को प्रमोट करने के उपाय भी सुझाती है।

4. डेटा-आधारित शोध: पुस्तक में विज्ञापन, उपभोक्ता व्यवहार और डिजिटल मीडिया के प्रभाव पर विस्तृत शोध किया गया है।

पार्थ पब्लिकेशन: सत्य और शोध का संगम

पार्थ पब्लिकेशन, देहरादून ने इस पुस्तक को प्रकाशित कर एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि वे अत्याधुनिक शोध और समाजोपयोगी विषयों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह प्रकाशन संस्थान उन लेखकों को मंच प्रदान करता है, जो महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर सारगर्भित लेखन कर रहे हैं।

निष्कर्ष

“Health Misinformation in Social Media Advertising” उन सभी पाठकों के लिए आवश्यक पुस्तक है जो डिजिटल मीडिया, विज्ञापन, स्वास्थ्य जागरूकता और नीति-निर्माण में रुचि रखते हैं। शोधकर्ता, शिक्षाविद, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और जागरूक नागरिकों को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। पार्थ पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित यह ग्रंथ डिजिटल युग में सत्य और असत्य के बीच फर्क समझने का एक सशक्त माध्यम है।

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