“आत्मनिर्भर भारत और मीडिया” – भारतीय विकास यात्रा में मीडिया की भूमिका

आज के दौर में मीडिया और आत्मनिर्भरता का संबंध किसी परिचय का मोहताज नहीं है। भारत की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता में मीडिया की भूमिका कितनी प्रभावी रही है, इसी पर डॉ. साधना श्रीवास्तव की पुस्तक “आत्मनिर्भर भारत और मीडिया” गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। पार्थ प्रकाशन, देहरादून द्वारा प्रकाशित यह ग्रंथ मीडिया के प्रभाव, नीतिगत योगदान और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में इसकी महत्ता को उजागर करता है।

पुस्तक की विशेषताएँ:

1. आत्मनिर्भर भारत का ऐतिहासिक और समकालीन विश्लेषण: पुस्तक भारत की स्वावलंबी यात्रा को विस्तार से प्रस्तुत करती है और मीडिया के योगदान को ऐतिहासिक संदर्भों में रखती है।

2. डिजिटल मीडिया और आत्मनिर्भरता: इसमें बताया गया है कि डिजिटल क्रांति, सोशल मीडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान कैसे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

3. नवाचार और मीडिया की भूमिका: पुस्तक उन मीडिया अभियानों, सरकारी योजनाओं और जन-जागरूकता अभियानों पर प्रकाश डालती है जिन्होंने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।

4. साहित्यिक और शोधपरक दृष्टिकोण: पुस्तक में शोध-आधारित तथ्यों, केस स्टडीज़ और मीडिया की प्रभावशीलता को उजागर किया गया है।

पार्थ प्रकाशन: प्रामाणिकता और शोध की गारंटी

पार्थ प्रकाशन, देहरादून ने इस पुस्तक को प्रकाशित कर एक बार फिर सिद्ध किया है कि वे समाजोपयोगी और शोधपरक पुस्तकों के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह प्रकाशन संस्थान भारतीय विकास और अकादमिक जागरूकता को आगे बढ़ाने वाली पुस्तकों को प्राथमिकता देता है।

निष्कर्ष

“आत्मनिर्भर भारत और मीडिया” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक दृष्टिकोण और एक दिशा है। यह शोधकर्ताओं, मीडिया विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं के लिए एक अनिवार्य ग्रंथ है। पार्थ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक मीडिया के व्यापक प्रभाव और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है।

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