शनिवार को मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, ज्योतिर्विद प्रीत अरोड़ा से जाने क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

ज्योतिर्विद प्रीत अरोड़ा

भारतीय सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व का बहुत महत्व है हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की दिन त्रयोदशी तिथि तथा रात्रि चतुर्दशी तिथि पड़ने से शिवरात्रि कहा जाता है और मनाया जाता है.ऐसी धार्मिकमान्यताएं है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. ऐसा भी कहा जाता है 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को त्रयोदशी तिथि शायं 05:43मिनट तक है तथा उसके उपरांत चतुर्दशी तिथि है जोकि 19 फरवरी 2023 रविवार को दोपहर 03:19मिनट है रात्रि में चतुर्दशी 18 तारीख को मिलने के कारण महाशिवरात्रि का व्रत एवं पर्व 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को मनाया जायेगा महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए यह पर्व 18 फरवरी2023 को ही मनाना उचित तथा कल्याणकारी होगा.

महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग

इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व बहुत खास रहने वाला है. इस बार महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग का निर्माण होने जा रहा है. 17 जनवरी 2023 को न्याय देव शनि कुंभ राशि में विराजमान हुए थे. अब 13 फरवरी को ग्रहों के राजा सूर्य भी इस राशि में प्रवेश करने वाले हैं. 18 फरवरी को शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि में होगा. इसलिए कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा मिलकर त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे. ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की बड़ा ही दुर्लभ संयोग माना है.

चार पहर में की जाती है महा शिवरात्रि की पूजा

महा शिवरात्रि की पूजा चार पहर में की जाती है लेकिन भक्त अपनी सुविधानुसार पूजा कर सकते हैं. निशिता काल यानी की मध्यरात्रि में महाशिवरात्रि की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है. 18 फरवरी 2023 रविवार मध्यरात्रि में 11 बजकर 12 मिनिट से 01 बजकर 04 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.

क्यों महाशिवरात्रि मनाई जाती है?

ज्योतिर्विद प्रीत अरोड़ा जी ने बताया की इसके पीछे कई धार्मिक एवं पौराणिक कथाएं छुपी हुई हैं पौराणिक कथाओं के मुताबिक महा शिवरात्रि के दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था. महाशिवरात्रि की पूरी रात महादेव के भक्त अपने आराध्य की पूजा के लिए जागरण करते हैं. शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव जी के साथ शक्ति की शादी हुई थी कुछ पौराणिक कथाये ये भी कहती हैं कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था.

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