यातायात माह का मज़ाक बना रही हैं ब्लैक फिल्म और फर्जी विधानसभा सचिवालय का पास लगीं गाडिय़ां
कार एसेसरीज की दुकानों पर ब्लैक फिल्म आसानी उपलब्ध है। इन दुकानों में भी कभी कोई जांच नहीं होती।
मानवेंद्र प्रताप सिंह’माना’
प्रतापगढ़। काले शीशे के अंदर कई तरह के गलत काम होते हैं। इसी से निजात पाने के लिए कोर्ट ने भी ब्लैक फिल्म नहीं लगाने का आदेश जारी किया था, लेकिन यह आदेश सिर्फ फाइलों की शोभा बढ़ा रहा है। पुराना इतिहास देखे तो पुलिस की तत्परता और बुद्धिमानी की वजह से कई आरोपी रंगेहाथ पकड़े गए थे।
प्रतापगढ़ में सैकड़ों गाडिय़ां हैं जिनके शीशे में ब्लैक फिल्म और विधायक का फर्जी पास लगा है। इनमें सबसे ज्यादा अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के नेता और कार्यकर्ताओं की गाडिय़ां हैं।
जमीन माफिया, बिल्डर, सरकारी अधिकारी से लेकर रसूखदार भी अपनी गाडिय़ों में ब्लैक शीशा लगवाना और फर्जी पास लगवाना शान समझते हैं। पुलिस भी उनके रसूख के आगे खुद को बौना समझती और ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने से बचती है।
चौक-चौराहों पर बड़ी आसानी से ब्लैक शीशे वाली गाडिय़ां क्रॉस करती हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस को हिम्मत नहीं कि वो ऐसी गाडिय़ों को हाथ देकर रुकवा दे। पुलिस भी यह सब देखकर आंखें मूंद लेती है। कार एसेसरीज की दुकानों पर ब्लैक फिल्म आसानी उपलब्ध है। इन दुकानों में भी कभी कोई जांच नहीं होती। वाहन मालिक इन दुकानों से जहां कार की साज-सज्जा की चीजें लेते हैं, वहीं बेझिझक शीशों पर काली फिल्म लगवा लेते हैं। इस मामले में एक दुकानदार ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यदि ग्राहक काली फिल्म की डिमांड करता है तो उसे लगवा देते हैं।