कितने आज़ाद हैं हमारे गाँव ? क्या हैं आजादी के मायने, जानें डॉक्टर चंद्रशेखर प्राण से

गाँव लहरिया न्यूज/डेस्क

गाँव नष्ट होने के कगार पर हैं. देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है.तंत्र  लोकतंत्र को गुलाम बनाने में लगी हुई हैं.विकास कमीशनखोरी की भेंट चढ़ता जा रह हैं. आज़ाद देश के गाँव गुलाम बनते जा रहे हैं.

आजादी के बाद जब देश का संविधान बनना तय हुआ तभी महात्मा गाँधी ने जमीनी स्तर पर आजादी व् लोकतंत्र को आम आदमी के जीवन का उपयोगी अंग बनाने के लिए पंचायत को आधार रूप में लेने की बात कही थी. लेकिन कुछ कारणों से यह संभव नहीं हो सका. संविधान सभा की एक लम्बी बहस के बाद इस विषय को भविष्य के लिए छोड़ते हुए नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत शामिल करके राज्यों के खाते में डाल दिया गया परन्तु साथ ही साथ संविधान सभा ने पंचायत को एक नयी पहचान देते हुए इस SELF GOVRNMENT अर्थात अपनी सरकार के रूप में चिन्हित किया.इस व्यवस्था में गाँव को केंद्र, राज्य की सरकारों की तरह गाँव की सरकार के रूप में अधिकृत किया गया लेकिन दुर्भाग्य है की गाँव खुद अपने अधिकार लें नहीं सका. गाँव की सरकार में प्रधान जिसे संविधान ने गाँव के मुख्यमंत्री का दर्ज़ा दिया हुआ है वह सचिव और ब्लाक के अधिकारियों की गुलामी में लगा हुआ है. सदस्य जिसे गाँव की सरकार में मंत्री का दर्ज़ा प्राप्त है उसे सिर्फ अंगूठा या दस्तखत करने भर का अधिकारी बना कर रख दिया गया है.ग्राम सभा के सभी मतदाता जिन्हें विधायिका का स्थान प्राप्त है वो सिर्फ वोट देने तक ही अपने को सीमित कर रखे हैं. ऐसे में भला गाँव में कैसे तरक्की और खुशहाली आ पायेगी. गाँव लहरिया के माध्यम से हम एक कोसिस कर रहे हैं लोगों को जागरूक करने की आप भी इस मुहीम में साथ दें……गाँव समाज को पुनर्जागृत करने ग्राम पंचायत को सशक्त एवं प्रभावी बनाने की दिशा में डॉक्टर चन्द्रशेखर प्राण की अगुवाई में देश भर में तीसरी सरकार अभियान चलाया जा रहा है गाँव लहरिया भी अभियान को गाँव -गाँव तक पहुंचा कर इस जनहित के कार्य को करने का प्रयास कर रही है. इसी क्रम में डॉक्टर चंद्रशेखर प्राण का यह वीडियो आपके लिए संकलित है कृपया देखें….

Related Articles

Back to top button