इलेक्शन ब्रेकिंग : प्रत्याशियों की दावेदारी सी दिलचस्प हो चला नगर पंचायत पट्टी का चुनाव

पट्टी नगर पंचायत का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने की उम्मीद जताई जा रही है। जहां अभी तक भाजपा से नौ लोग टिकट के लिए लाइन में खड़े हुए हैं वहीं सपा से तीन दावेदार नजर आ रहे हैं, निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं समीकरण

मानवेंद्र प्रताप सिंह माना
पट्टी। नगर पंचायत के होने वाले चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी सहित बहुत से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अपनी अपनी होर्डिंग व बैनर पट्टी चौराहे चौक चौराहे कोतवाली के सामने प्रचार प्रसार के लिए टांग दिया है। नगर के चौराहे नुक्कड़ चुनावी संबंधित प्रचार-प्रसार के बैनर होर्डिंग से पटे हैं इन को देखते ही महसूस होने लगा है कि नगर पंचायत के चुनाव आने वाला है।

चुनाव के समय से ऐसे नेताओं की होडिंग देखने को मिलती है जिनका गरीबों की सुविधा सामाजिक जीवन, समस्याओं और सरकार की तरफ से चल रही जन कल्याण कारी योजना का लाभ सबको मिले परंतु जितने के बाद से कोई वास्ता सरोकार नहीं रह जाता है अगर देखा जाए सबसे अधिक मारामारी भारतीय जनता पार्टी में के टिकट के लिए है।

पट्टी नगर पंचायत का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने की उम्मीद जताई जा रही है। जहां अभी तक भाजपा से नौ लोग टिकट के लिए लाइन में खड़े हुए हैं वहीं सपा से तीन दावेदार नजर आ रहे हैं।

पट्टी नगर पंचायत चुनाव में भाजपा की तरफ से दावेदारों में प्रमोद सिंह सोमवंशी, बुदुल सिंह, विष्णु दत्त तिवारी, अशोक जयसवाल, रामचरित्र वर्मा ,अशोक गुप्ता पप्पू ,आशीष खंडेलवाल, खेदन लाल जायसवाल, जुग्गी लाल जायसवाल का नाम दावेदारों में गिना जा रहा है। निर्दलीय में लाल सिंह भी तेजी से लगे है और वही सपा से सुरेश जयसवाल ,संतोष जयसवाल प्रमुख रूप से है परंतु सूत्र की माने तो कुछ बीजेपी के ऐसे दावेदार है जो समाजवादी पार्टी में लगे है टिकट वितरण के बाद एक बार नया भूचाल आ सकता है।

नगर पंचायत पट्टी के मतदाताओं का कहना है कि,लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार होता है। बड़े-बड़े चुनावी वादे करके प्रत्येक नेता जनप्रतिनिधि बनने का हर संभव कोशिश करता है चुनाव के समय प्रत्याशी मतदाताओं की सेवा करने वालों की समस्याओं का निदान करने तथा चौमुखी विकास करने का वादा करके मत प्राप्त कर लेता है परंतु जैसे ही चुनाव विजय प्राप्त करने के बाद माननीय बन जाता है उसके स्वर बदल जाते हैं वह स्व सम्मान की अपेक्षा करने लगता है। विकास करना बंद कर देता है। आखिर नेता इतना स्वार्थी क्यों हो जाता है इसके चुनावी वादे कहां गायब हो जाते हैं। नगर पंचायत का एक निश्चित सीमा क्षेत्र की विकास कार्य करना होता है। परंतु सड़कों नालियों में घूमकर खर्च हो जाता है फिर भी वही के वही नालियां टूटी पड़ी रहती है। उम्मीद है  जनता इस बार मुद्दों पर वोट करेगी ।

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