अमित मोहन माटी से बना रहे सोना, मिल रहा भाग्योदय का साथ, दे रहे रोजगार

भारत के उपेक्षित कारीगरों को सम्मानजनक रोजगार प्रदान करने की एक शानदार मुहीम 'माटी कला केंद्र'

भारत के उपेक्षित कारीगरों को सम्मानजनक रोजगार प्रदान करने की एक शानदार मुहीम ‘माटी कला केंद्र’: आचार्य राम महेश मिश्र

हापुड़। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नवगठित हापुड़ जनपद देशवासियों को उनकी माटी से जोड़ने का एक अद्भुत केन्द्र बनने जा रहा है। हापुड़ जिले की गढ़मुक्तेश्वर तहसील के विकास खण्ड बक्सर के ग्राम ढाना देवली में शुरू होने जा रहा ‘माटी कला केन्द्र’ इसका एक सशक्त हेतु बनेगा। भारत के उपेक्षित कारीगरों के भाग्योदय, अथवा यूं कहें कि भारत भाग्योदय को उद्यत माटी कला केन्द्र की स्थापना दिशा सेवा संस्थान मेरठ द्वारा की गई है।

लगभग 14 वर्षों से समाज में सामाजिक एवं आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ाने के लिए प्रयासरत गैर सरकारी सामाजिक संस्था ‘दिशा सेवा संस्थान’ ने अब तक उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों के बहुसंख्य लोगों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सफलतापूर्वक कार्य किया है।

क्या कहते है? दिशा सेवा संस्थान के संस्थापक एवं मुख्य संचालक डॉ. अमित मोहन

दिशा सेवा संस्थान के संस्थापक एवं मुख्य संचालक डॉ. अमित मोहन का मानना है कि लगभग डेढ़ दशक की संस्था की यात्रा में हापुड़ का माटी कला केन्द्र एक मील का पत्थर साबित होगा इस केन्द्र में 60 से ज्यादा प्रकार के उपयोगी उत्पाद निर्मित किए जाएंगे जो सभी के सभी मिट्टी से बने होंगे। ये उत्पाद जहां पॉलिथीन जैसी अति गम्भीर जहरीली राष्ट्रीय समस्या से देवभूमि भारतवर्ष को मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, वहीं यहां से भारी संख्या में ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। बतौर अमित मोहन माटी कला केन्द्र के श्री गणेश की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

दिशा सेवा संस्थान ने बीते लगभग डेढ़ दशक में वैकल्पिक शिक्षा, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, कौशल विकास, पर्यावरण संरक्षण आदि क्षेत्रों में अपना अहम योगदान दिया है। वर्तमान में यह संस्था भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की स्फूर्ति योजना के अन्तर्गत कोहंड व उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद के सहयोग से हापुड़ जिले के बक्सर तथा सिंभावली विकास खण्डों में माटी कला से जुड़े असंगठित कारीगरों के जीवन को संवारने तथा भारी संख्या में ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करने के लिए कार्यरत है। संस्था वर्तमान में स्फूर्ति योजना के अन्तर्गत पॉटरी एन्ड टेराकोटा क्लस्टर के माध्यम से करीब 500 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रयत्नशील है।

हापुड़ का ढाना देवली गाँव देश को जोड़ेगा अपनी माटी से । 500 ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को रोजगार देगा यह। अग्रणी उद्यमिता केन्द्रएमएसएमई मंत्रालय की स्फूर्ति योजना के सहयोग से विकसित क्लस्टर परिसर में जन सहायता केन्द्र भी काम करेगा।

दिशा सेवा संस्थान के माटी कला केन्द्र द्वारा उद्यमिता विकास कार्यक्रम के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों को प्रशिक्षण प्रदान करने के पश्चात चिन्हित कारीगरों से उन्नत किस्म की मशीनों द्वारा बाजार की जरूरत के हिसाब से उत्पाद बनाने का कार्य शुरू किया गया है। धीरे-धीरे यह कारवाँ आज 200 से अधिक परिवारों में खुशियां प्रदान कर रहा है। धीरे-धीरे लाभार्थी परिवारों की निर्धारित संख्या 500 को पार करके इसे हजारों परिवारों तक पहुंचाया जाएगा। माटी कला से जुड़े कारीगरों के द्वारा बनाये गए उत्पाद आज लोकल मार्किट से बाहर निकलकर देश के बड़े बाजारों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कारीगरों के कौशल को बढ़ाने के लिए समय-समय पर उन्हें खुर्जा व अन्य स्थानों पर क्षेत्र भ्रमण कराया जाता है। इन एक्टिव विजिट्स के माध्यम से मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों को अपनी स्किल यानी कौशल को बढ़ाने के लिए आवश्यक जानकारियां तो मिल ही रही हैं, साथ ही मशीनों के उपयोग एवं उनसे सार्थक कार्य करने के तरीकों के बारे में भी अभिनव ज्ञान उन्हें प्राप्त हो रहा है।

 

अमित मोहन कहते हैं कि परम्परागत मिट्टी के कार्य करने वाले कारीगरों को उनके द्वारा तैयार किये गए उत्पादों की डिजिटल मार्केटिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिससे कारीगरों को उनके उत्पाद निर्माण का समुचित पारिश्रमिक प्राप्त हो सके। कारीगरों की सहायता के लिए ढाना देवली स्थित क्लस्टर परिसर में एक जन सहायता केन्द्र की स्थापना भी की जा रही है, जिससे कारीगरों को उनके उद्यम की आवश्यकता के सभी दस्तावेजों की तैयारी सहित तत्संबंधी विभिन्न प्रशिक्षण दिए जा सकें। एम.एस.एम.ई की स्फूर्ति योजना के माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य राष्ट्र में परम्परागत उद्योगों का पुनर्सृजन करना है, जिससे विशेष रूप से ग्राम्य कुटीर उद्योगों को मजबूती प्रदान की जा सके और उनसे जुड़े कारीगरों को आर्थिक व सामाजिक रूप से सुदृढ़ व समृद्ध बनाया जा सके।

क्या कहते हैं ? माटी कला केन्द्र के संरक्षक एवं भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष आचार्य राम महेश मिश्र

 

आचार्य राम महेश मिश्र भाग्योदय,प्रमुख

माटी कला केन्द्र के संरक्षक एवं भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष आचार्य राम महेश मिश्र कहते हैं कि भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘स्फूर्ति योजना’ के जरिए परम्परागत उत्पादों तथा जमीन से जुड़े उद्यमों को बढ़ावा देकर भारतीय मुद्रा को विदेशों में जाने से रोकने में भी मदद मिलेगी, साथ ही अपने देश के कारीगरों को सम्यक रोजगार प्राप्त हो सकेगा। सन्तोष की बात है कि यह केन्द्र अकुशल कारीगरों को उनके उच्चस्तरीय कौशल्य से जोड़ने के लिए प्रयत्नशील एवं कृत संकल्पित है। श्री मिश्र कहते हैं कि भारतवर्ष सदा से ही अनेकानेक उद्यमों, उद्यमियों, व्यवसायों एवं उद्योगों का आत्मनिर्भर देश रहा है। तभी वह सोने की चिड़िया कहा गया। दिशा सेवा संस्थान के अथक प्रयासों से आरम्भ हुआ माटी कला केन्द्र देश की माटी, देश के गांवों तथा देश के खेतों से जुड़े ग्रामदेवताओं को उनका खोया हुआ सम्मान वापस दिलाने में महती भूमिका का निर्वहन कर सकेगा, ऐसी आशा की जाती है। उन्होंने कहा कि उद्यमी परिवारों के बच्चों एवं परिजनों को आध्यात्मिक पृष्ठभूमि में संस्कारों एवं सुशिक्षा से जोड़ने के भी यथासम्भव प्रयास किए जायेंगे।

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