रविवार को छोटी दीपावली

तेल के दीपक जलाकर मुख्य दरवाजे की चौखट पर रखने से प्रसन्न होती हैं माता लक्ष्मी

छोटी दीपावली धनतेरस के  दिन पश्चात एवं मुख्य दीपावली से एक दिन पूर्व मनाई जाती है। भारतीय सनातन धर्म शास्त्र के अनुसार से कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इसे हम नरक चतुर्दशी भी कहते हैं इस दिन घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही खरीदारी की धूम धाम से की जाती है ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया था। जैसा कि इसका नाम ही छोटी दीपावली है तो इस दिन दीपावली के पर्व भी मनाया जाता है, लेकिन छोटे स्तर पर। छोटी दिवाली के दिन घर को फूलों माला फूल से सजाया जाता है और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती हैं।

नरक चतुर्दशी कथा

नरकासुर एक पापी राजा था। उसे वर मिला हुआ था कि वो सिर्फ मां भूदेवी के हाथों ही मारा जाएगा। इसलिये नरकासुर ने स्वर्ग लोक पर अत्याचार करना शुरू कर दिये। सभी देवता भगवान कृष्ण के पास गए। भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा जो कि भूदेवी का पुनर्जन्म थीं उन्हें रथ में लेकर नरकासुर से युद्ध करने जा पहुंचीं। नरकासुर ने एक तीर मारा जो कि श्रीकृष्ण को लगा। सत्यभामा इससे गुस्से में आ गईं। सत्यभामा ने तीर से नरकासुर का वध कर दिया। असुर के मारे जाने पर सभी लोगों ने खुशियां मनाईं।

नरक चतुर्दशी पूजा

सूर्य किरण निकलने से पूर्व उठ कर शरीर पर तेल या उबटन लगाएं। इसके बाद स्नान करें। स्नान करने के बाद दक्षिण की ओर मुंह करके हाथ जोड़ें और यमराज जी से प्रार्थना करें। पूरा दिन भगवान का आचरण करें और शुभ कार्य करें। शाम के वक्त सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद तेल के दीपक जलाकर मुख्य दरवाजे की चौखट पर रखें। अपने कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाएं। ऐसा करने से एक तो पाप नष्ट होते जाता है माता लक्ष्मी की अति कृपा होती है।

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