सावन में कर लें ये उपाय बन जायेंगे बिगड़े काम

बेलपत्र से पूजन करने पर प्रसन्न होते हैं शिव-शंभू , करते हैं मनोरथ सिद्ध

सावन का पवित्र माह चल रहा है। सावन मास में हर शिवभक्त भगवान शिव की पूजा बड़े भी भाव से करते है। शिवालयों को सजाने का काम में शिवभक्त प्रतिदिन सुबह व शाम बेलपत्र का उपयोग किए जाते हैं। बेलपत्र चढ़ाने की महता को लेकर शिव भक्त बेलपत्र के व्यवस्था में लग गए हैं। जिससे भोलेनाथ की कृपा उनके ऊपर बनी रहे। सावन में ऐसा कहा जाता है कि भगवान शंकर को एक लोटा जल अर्पित किया जाए और बेलपत्र अर्पित किया जाए तो भगवान शिव की कृपा आसानी से मिल जाती है। लेकिन बेलपत्र की महिमा क्या है। क्यों बेलपत्र इतना मूल्यवान है और बेलपत्र के अद्भुत प्रयोग क्या हैं। सावन के महीने में बेलपत्र का सही इस्तेमाल करके हम बहुत सारी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।

नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान फूलपुर प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की शिवपुराण में बेलपत्र एवं बेल के पेड़ के कई सांसारिक व वैज्ञानिक महत्व भी बताए गए है। इसके साथ ही शिव पर अर्पित करने की अलग अलग विधि से भी भिन्न प्रकार के फलादेश का महत्व शिवपुराण में वर्णित है। शिवपुराण एवं मान्यताओं के अनुसार जाे श्रद्धालु बेल का पेड़ लगाते है। उनके वंश में वृद्धि होती है। सुबह शाम बेल के पेड़ों के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश होता है। बेल के पेड़ों को सींचने से पितर तृप्त होते है। बेल के पेड़ व सफेद आक को जोड़े से लगाने से अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जीवन में एक बार भी बेल पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने वाला व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।

बेलपत्र की महिमा

बेल के पत्तियों को बेलपत्र कहा जाता है। तीन पत्तियां एक ही प्रकार से जुड़ी होती हैं, इनको एक पत्ता माना जाता है। भगवान शिव जी की पूजा में बेलपत्र के अद्भुत प्रयोग होते हैं और बिना बेलपत्र के शिव जी की पूजा संपूर्ण नहीं हो सकती है। बेलपत्र के दैवीय के अलावा औषधीय प्रयोग भी हैं, इसके प्रयोग से तमाम बीमारियां गायब की जा सकती हैं।

सावन माह में बेलपत्र के प्रयोग से मिलता है विशेष फल

पंडित राम आश्रय उपाध्याय की माने तो 108 बेलपत्र लें और उन पर चंदन से राम लिखें, ऊं नम: शिवाय कहते हुए बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं। जब 108 बेलपत्र चढ़ा लें तो शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें, यह प्रयोग सावन में विशेष फलदायी होता है। एक बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए, पत्तियां टूटी हुई ना हो और उनमें छेद भी नहीं होना चाहिए। शिव जी को जब भी बेलपत्र अर्पित करें तो चिकनी तरफ से ही चढ़ाएं, एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ा सकते हैं। एक बेलपत्र को बार-बार पानी से धोकर भी चढ़ा सकते हैं। बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए।

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