नहरे सूखी, पानी के किल्लत से किसान परेशान,

नेताओं का छलावा, नहर बनी दिखावा

गांव लहरिया न्यूज / पट्टी

जिले में धान की खेती के लिए कही पौध डाली जा रही है। तो कही रोपाई हो रही है। किसानों को इस वक्त पानी की बेहद जरूरत है। बिना पानी के उनका काम नहीं चल रहा है, ऐसे में वे महंगे डीजल से सिंचाई करने को मजबूर हैं। किंतु सिंचाई विभाग का रोस्टर किसानों की यह मजबूरी समझ नहीं रहा है। ऐसे में जिले की नहरों में धूल उड़ रही है। अधिकारियो की मानें तो रोस्टर के अनुसार करीब 14 जून से जिले के किसानों को पानी मिल जाता था। ऐसे मे जुलाई बीतने को है, आधे से ज्यादा किसान पौध डाल भी चुके है, कुछ तो धान की रोपाई भी कर चुके है, जो अब पानी के आभाव मे सूख रहे है, आखिर किसानो की तङप पर कोई मरहम लगाने का काम कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि क्यों नहीं कर रहा है.

 

इस पूरे मामले को लेकर गांव लहरिया न्यूज के रिपोर्टर ने जब शारदा सहायक खंड 36 के उप विभागीय अधिकारी से बात किया तो उन्होंने बताया हर साल 14 से 17 जून के बीच पानी छोड़ दिया जाता था। लेकिन इस बार बारिश न होने के कारण हमें पर्याप्त मात्रा मे पानी नहीं मिल पा रहा है, उन्होंने कहा इस बार हमें हमारी मांग के अनुसार हेड से पानी मिला नहीं, इसीलिए किसानो को इतनी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है,

सूखने की कगार पर फसलें

खेतों में इस समय फसलें सिंचाई के अभाव में सूखने के कगार पर हैं। किसान पानी के अभाव में धान की नर्सरी (बेरन ) व रोपाई समय से नहीं कर पा रहे हैं। एसडीओ तेजप्रकाश यादव ने बताया कि जल्द ही दो से दिनों के अंदर पर्याप्त पानी मिलने की संभावना है।

निजी नलकूप का सहारा लेने को विवश

क्षेत्र के भरोखन, भानेपुर, फतेहपुर, बीबीपुर नहर के किनारे के कई गांवों के किसान धान की नर्सरी तैयार करने के बाद नहर में पानी नहीं आने से रोपाई न कर पाने से चिंतित हैं। नहर में पानी नहीं आने से किसानों ने बड़ी मुश्किल से निजी नलकूपों की मदद से रोपाई कर रहे है।

नहर में पानी नहीं आने से हुआ नुकसान

पट्टी क्षेत्र के किसान राधेश्याम का कहना है कि जैसे तैसे निजी व्यवस्था से रोपाई तो हो गई, अब फसल को सूखने से बचाने के लिए नहरों मे पानी होने की जरूरत है, वैकल्पिक व्यवस्था से सिंचाई में काफी खर्च आ गया। इससे उनका नुकसान हो गया है।

नहर बनी दिखावा

सरसरपुर इलाके के किसान धान की बेहन, व उसकी रोपाई के साथ पशुओं के हरे चारे वाली फसलों की सिंचाई के लिए परेशान है। क्षेत्र की नहर और माइनरों में उड़ती धूल इसकी कहानी स्वयं बयां कर रही है।

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