समितियों से डीएपी खाद पस्त, निजी दुकानदार मस्त
किसानो का आरोप समितियों पर लटके है ताले
- गांव लहरिया न्यूज / पट्टी
खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की रोपाई जोरों पर हैं। अधिकांश किसानों ने रोपाई कर दी है। जिसके चलते डीएपी खाद की मांग बढ़ गई है। लेकिन जरूरत के समय सहकारी समितियों से डीएपी नदारद है और किसानों को बैरंग लौटाया जा रहा है। आलम यह है, कि कई समितियों पर ताला लटक गया है। परेशान किसान शासन-प्रशासन को कोसते हुए मजबूरन निजी खाद विक्रेताओं से डीएपी खरीद रहे हैं।
निजी दुकानदारों से रहती है सेटिंग
किसानों का आरोप है कि निजी खाद विक्रेता कमी की बात कहकर सरकारी रेट से 20 से 40 रुपये अधिक की वसूली कर रहे हैं। किसान मक्का, उरद आदि की बोआई भी कर रहे हैं। जिसके लिए किसानों को खादो की जरूरत है, लेकिन प्रतापगढ़ के समितियों से डीएपी व यूरिया नदारद है। डीएपी न होने से किसानों में भारी रोष है।
लटकते ताले, भटकते किसान
गांव लहरिया के सोशल मीडिया हैंडल पर पट्टी तहसील क्षेत्र की ज्यादातर शिकायत आयी है जहाँ किसानो का आरोप है कि हमारे यहां साधन सहकारी समितियों से डीएपी खाद नदारद है। वही शनिवार को सहकारी समिति सरमा में ताला लटकता नजर आया। इस दौरान डीएपी मिलने की उम्मीद में किसान शुभम सिंह, अनिल दूबे, विवेक शुक्ला, अवनीश दूबे सहित लगभग सैकड़ो कि संख्या मे किसानो ने बताया कि हमारे ग्रामीण सहकारी समिति शर्मा मे एक साल से ताला लटका है, यहां खाद आने की बात कहकर टरका दिया जाता है। किसानों ने बताया कि डीएपी का छिड़काव न होने से फसल का विकास रुक जाएगा और फसल में रोग लग जाएगा। डीएपी न मिलने से कई किसानों ने अभी धान की रोपाई नहीं की है।
लौट रहे किसान
आपको बताते चले सरकार जहाँ खाद मिलने का दावा कर रही है, वही गांव लहरिया न्यूज के फेसबुक हैंडल पर विभिन्न जगहों के लोगो से जो कमेंट मिला है इससे सरकार के दावे खोखले नजर आ रहे है,
जिसमे प्रमुख रूप से तहसील क्षेत्र पट्टी के देवसरा निवासी अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि,
खाद को लेकर देवसरा ब्लाक के ज्यादातर समितियों की स्थिति दयनीय है,
वही सैफाबाद निवासी अंकित शुक्ला व जेया शेख कहते है आसपुर देवसरा जैसी स्थिति से हमारे यहाँ के भी किसान गुजर रहे है,
यही नहीं गौरमाफी समिति को लेकर शुभम पाण्डेय नाम के यूजर ने कहा,
“यहाँ लूट मची हुई है, चारो तरफ आधे से ज्यादा खाद ब्लैक हो जा रहा है”
इन सभी के बीच पट्टी निवासी शशांक सिंह कहते है,
पट्टी मे सब बिक गया है,
मजे की बात ये रही संतोष पटेल नाम के एक यूजर ने खाद के आभाव को लेकर यहां तक कह दिया कि,
हमें प्रतापगढ़ के सांसद शिवपाल सिंह पटेल के घर जाना पड़ रहा,
विनय सिंह नाम के यूजर ने कहा,
सरकार पस्त है अधिकारी मस्त है,
ललित दूबे नाम के एक यूजर ने यहां तक कह दिया कि,
किसान की कौन सुन रहा है खेती करना आसान नही रहा अब छुट्टा जानवर, नीलगाय, सुअर और भगवान भी इन सब के साथ है वो बारिश नही होने दे रहे हैं किसान की जिंदगी कोई जिंदगी है मोदी जी 2000 दे के सो जाते हैं उनको कौन बताए किसान जानवरो से बहुत ज्यादा पेरशान है.