जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य पट्टी में सुनाएंगे भागवत कथा

गांव लहरिया न्यूज / अतुल पुजारी

भारतीय साहित्य मे सर्वोच्च ज्ञानपीठ पुरस्कार से पुरस्कृत तुलसीपीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य अपने श्रीमुख से पट्टी में भागवत कथा सुनाएंगे।

यह धार्मिक आयोजन पट्टी स्थित रामपुर खागल गांव निवासी सुशील मिश्रा के निज निवास पर होगा । कार्यक्रम को लेकर आयोजकों ने तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी हैं। भव्य सात दिवसीय कथा का श्रीगणेश 18 अक्टूबर से होना है जो 24 अक्टूबर को महाप्रसाद के साथ होगा ।

आपको बता दें, श्रीरामजन्म भूमि विवाद में प्रमुख गवाह के तौर पर अदालत ने भी स्वामी रामभद्राचार्य की गवाही को काफी अहम माना था। जिसका प्रतिफल यह रहा कि अदालत ने श्री रामजन्म भूमि के पक्ष में निर्णय सुनाया। जिसके कारण अयोध्या में आज श्री रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है।

जगतगुरु के लिए ये कथास्थल क्यों है खास ?

आपको बताते चले जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महराज के घोषित उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास महाराज ( जय भईया ) का पैतृक निवास पट्टी स्थित रामपुर खागल गांव है, जहां यह 7 दिवसीय कथा होनी है । जिसको लेकर क्षेत्र के लोग काफ़ी उत्साहित है।

भागवत कथा का श्रीगणेश

इस सात दिवसीय कथा के आयोजक सुशील मिश्रा ने बताया कि 18 अक्टूबर से पट्टी तहसील क्षेत्र के रामपुर खागल गांव में भागवत कथा का श्रीगणेश होगा। यह 24 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान स्वामी रामभद्राचार्य महराज रसिको पर अपने मुखारबिंदो से भागवत कथा का अमृत वर्षा करेंगे।

आयोजक सुशील मिश्र व दिनेश मिश्र का दावा है कि इस भव्य भागवत कथा को श्रवण करने हेतु लगभग लाखो की संख्या में भक्त पहुंचेंगे। दूसरी तरफ इस कथा के आयोजन को लेकर पुलिस प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती है ।

बाबरी केस में गवाही रही थी अहम

पद्मविभूषण तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य का नाम हिंदू संत समाज में काफी आदर के साथ लिया जाता है। यह सम्मान उन्होंने अपनी विशेष आध्यात्मिक शक्ति से अर्जित किया है। सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद में उनकी गवाही सुर्खियां बनी थीं। वेद-पुराणों के उद्धरणों के साथ उनकी गवाही का कोर्ट भी कायल हो गया था। श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वे वादी के तौर पर उपस्थित हुए थे। ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उन्होंने उद्धरण दिया था। इसमें सरयू नदी के स्थान विशेष दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्योरा देते हुए रामभद्राचार्य महराज ने श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई थी।

जगद्गुरु के बयान ने मोड़ा था फैसले का रुख

कोर्ट में बहस के दौरान जैमिनीय संहिता मंगाई गई। उसमें जगद्गुरु ने जिन उद्धरणों का जिक्र किया था, उसे खोलकर देखा गया। सभी विवरण सही पाए गए। पाया गया कि जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई, विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर पाया गया। जगद्गुरु के बयान ने फैसले का रुख मोड़ दिया। सुनवाई करने वाले जस्टिस ने भी इसे भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार माना। एक व्यक्ति जो देख नहीं सकते, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल संसार से उद्धहरण दे सकते हैं, इसे ईश्वरीय शक्ति ही मानी जाती है।

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