स्नातकोत्तर महाविद्यालय पट्टी में ‘मानसिक रोंगों’ से बचाव के बताये उपाय

आज के भौतिक युग की गम्भीर समस्या है चिन्ता और उलझन- डॉ. ज्ञानेंद्र मौर्या 

गाँव लहरिया न्यूज़/पट्टी

चिंता और उलझन आज के भौतिक युंग की सबसे गम्भीर समस्या है जो आदमी की दैनिक दिनचर्या एवं राष्ट्रीय विकास में बाधक बन रही है। उक्त बातें डॉ० ज्ञानेन्द्र मौर्य मनोरोग विशेषज्ञ एवं चिकित्साधिकारी पट्टी ने जिला स्वास्थ्य समिति प्रतापगढ़ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में कही।कार्यक्रम का आयोजन स्नातकोत्तर महाविद्यालय पट्टी के पंo राम राज शुक्ल सभागार में किया गया । डॉ मौर्या ने आगे कहा कि मानसिक रोंगों को जल्दी थकान, हाथों में कम्पन, हड़बडी में रहना, एकाग्रता में कमी, याददास में कमी, उत्साह में कमी आदि लक्षणों से पहचाना जा सकता है और इसका व्यावहारिक तरीकों एवं दवाओं से इलाज किया जा सकता है। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के डॉ0 मुकेश मौर्य ने कहा कि बीमारी तीन प्रकार की होती है-शारीरिक, सामाजिक एवं मानसिक। शारीरिक एवं सामाजिक बीमारी तो दृश्य है दिखलाई पड़ जाती है किन्तु मानसिक बीमारी अदृश्य होती है और यह बीमारी ब्यक्ति को पूरी तरह से खोखला कर देती है। आज की युवा पीढ़ी को इससे बचना नितान्त आवश्यक है। कार्यक्रम में पूर्व प्राचा्य प्रो० आर०बी०अग्रहरि, महाविद्यालय के जनसूचना अधिकारी डॉ0 वीरेन्द्र कुमार मिश्र, डॉ0 अनिल यादव, डॉ0 अरूण यादव, डॉ0 अम्ब्रीश यादव, डॉ विकास सिंह सहित सभी प्राध्यापक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 राकेश पाण्डेय ने किया।

 

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