कल से प्रारम्भ हो रहा शारदीय नवरात्रि

इस नवरात्रि डोली चढ़कर भक्तों के घर आएंगे मैया रानी

गाँव लहरिया न्यूज़/डेस्क

भारतीय सनातन धर्म में एक वर्ष में दो बार छह माह की समय के अंतराल पर नवरात्रि आती हैं. मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता हैपूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है.नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र फूलपुर प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 03 अक्टूबर 2024गुरूवार से हो रहा है माता रानी का आगमन पालकी(डोली) पर हो रहा है।ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है.मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है. जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है. शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. नवरात्रि की शुरुआत 03 अक्टूबर 2024गुरूवारसे हस्त नक्षत्र ऐन्द्र योग तथा सूर्य बुध कन्या राशि होगी। 11 अक्टूबर 2024 शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त होगी. वहीं 12 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा.

शारदीय नवरात्रि 2024 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सनातन पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर को सुबह 08:42 मिनट से दोपहर 10:24 तक है.ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ है। घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:32 मिनट से प्रातः 08:39 मिनट तक।

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:41 मिनट से दोपहर 12:30 मिनट तक (अभिजित मुहूर्त में देवी की स्थापना सबसे शुभकारी माना जाता* है।

नवरात्रि के 9 दिन का महत्त्व

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है. साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है. इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है. अखंड ज्योति जलाई जाती है. हर स्वरूप की अलग महिमा होती है. आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोकामना पूर्ण होते हैं. यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है. नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है.पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है.

नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन की सवारी है शुभ

ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं. जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं. माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा. इस साल माता का वाहन हाथी होगा क्योंकि नवरात्रि का आरंभ रविवार से हो रहा है. इस विषय में देवी भागवत पुराण में इस प्रकार लिखा गया है कि रविवार और सोमवार को नवरात्रि आरंभ होने पर माता हाथी पर चढकर आती हैं जिससे खूब अच्छी वर्षा होती है. खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा

मां दुर्गा के वाहन और उनका महत्व

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं, यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं. माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं. नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है. ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता ह

माता की पूजन सामग्री

माता रानी की पूजा में शंख, सिंदूर, रोली, मौली, कपूर, धूप, लाल पुष्प या पुष्पहार, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ पटरा, आसन, चौकी, पंचमेवा, जायफल, गंगा जल जावित्री, कमलगट्टा, नैवेद्य, बताशा, मधु, शक्कर, नारियल, गंगाजल कलश आम के पत्ते पान के पत्ते आदि

*नवरात्र 03 अक्टूबर 2024 से 11 अक्टूबर 2024तक चतुर्थी तिथि दो है तथा नवमी तिथि की हानि है*

*अतः 9 दिन का व्रत रहने वाले 11 तारीख को शाम को 7:00 बजे के बाद नवमी के चतुर्थ चरण में पारण करेंगे*

*12अक्टूबर 2024 – मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि*

 

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