पट्टी में भूमाफियाओं के हौसले बुलंद, न्यायालय का आदेश दरकिनार, प्रशासन मूकदर्शक

लाखीपुर कपसा गांव में न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर ज़मीन कब्ज़ाने का आरोप

गाँव लहरिया न्यूज़/पट्टी

यूं तो सूबे की सरकार चुस्त दुरुस्त शासन प्रशासन के ढोल पीटती रही है किंतु बीते कुछ दिनों से प्रतापगढ़ जनपद के पट्टी तहसील में भूमाफियाओं के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं । कभी किसी की भूमिधरी में अवैध हस्तक्षेप तो कभी तालाब बंजर कब्जा लेने की खबरें आम हो चली हैं । इन घटनाओं पर स्थानीय प्रशासन की अकर्मण्यता पूरे सिस्टम को संदेह के घेरे में खड़ा कर रही है । एक तरफ जहां पट्टी खास और बीबीपुर के मामले अभी तक निस्तारित नहीं हो सके हैं, वहीं क्षेत्र के लाखीपुर कपसा गांव में भी भूमाफियाओं के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं जहां न्यायालय के स्थगन आदेश को धता बताते हुए रातों रात निर्माण कर लेने की बात सामने आई है । वहीं पीड़ित का आरोप है कि समस्त साक्ष्य उपलब्ध कराने के बावजूद भी पुलिस प्रशासन उसी को परेशान करने में लगे हैं ।शासन प्रशासन की सख्ती के दावों के बावजूद पट्टी तहसील में भूमाफियाओं का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। कभी किसी की भूमिधरी में अवैध हस्तक्षेप, तो कभी तालाब व बंजर भूमि पर कब्जे की खबरें अब आम हो गई हैं। स्थानीय प्रशासन की उदासीनता ने पूरे सिस्टम को संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है।

 

लाखीपुर कपसा गांव में न्यायालय के आदेश की अवहेलना

पट्टी तहसील के लाखीपुर कपसा गांव में न्यायालय के स्थगन आदेश को धता बताते हुए भूमाफियाओं ने रातों-रात निर्माण कर लिया। पीड़ित राजेश सिंह ने आरोप लगाया कि उनके पड़ोसी कुसुम दुबे, सत्यम दुबे आदि ने पंधरी यादव, सुरेंद्र सिंह, अवनीश सिंह, मनीष सिंह जैसे दबंगों की मदद से उनकी भूमि पर जबरन कब्जा कर लिया।पीड़ित का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में सभी साक्ष्य पुलिस को सौंपे, लेकिन प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की।

पुलिस की मौजूदगी में दबंगई, परिवार संग मारपीट का आरोप

राजेश सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में ही दबंगों ने उनके परिवार के साथ मारपीट की। यही नहीं, पुलिस अधिकारियों एवं क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों पर भी भूमाफियाओं को मदद पहुंचाने और जबरन बैनामा कराने का दबाव बनाने का आरोप लगा है।

पट्टी तहसील में बढ़ते जमीन विवाद, राजस्व कर्मियों की संलिप्तता पर सवाल

पट्टी तहसील में जमीनी विवादों का बढ़ना और उनका निस्तारण न होना अब आम समस्या बन चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, पट्टी में कार्यरत लेखपाल, कानूनगो एवं अन्य राजस्व अधिकारी मिलकर जानबूझकर मामलों को टालते हैं और भूमाफियाओं से साठगांठ कर मनमाफिक रिपोर्ट लगा देते हैं। यही वजह है कि सरकारी एवं निजी जमीनों पर कब्जा करना आसान हो गया है और पीड़ित पक्ष हार मानकर घुटने टेकने को मजबूर हो जाता है।

प्रशासन की चुप्पी, पीड़ितों को न्याय की दरकार

पट्टी में भूमाफियाओं का बेखौफ होकर सक्रिय रहना और प्रशासन की मौन स्वीकृति ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है। सार्वजनिक संपत्तियों पर कब्जा, न्यायालय के आदेशों की अवहेलना और पुलिस-प्रशासन की नाकामी ने इस पूरे तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

 

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