बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बिजली विभाग कर रहा गड़बड़ी :उपभोक्ता परिषद्
स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीद पर उपभोक्ता परिषद ने उठाये सवाल, प्रधानमंत्री से सीबीआई जांच की मांग
लखनऊ । स्मार्ट प्रीपेड मीटर के स्टैंडर्ड बिडिंग गाइड लाइन पर उपभोक्ता परिषद ने सवाल खड़ा किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सीबीआई जांच कराने की मांग उठाई है। इसके साथ ही कहा है कि गाइड लाइन से देश के निजी घरानों का फायदा होगा।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से भी बुधवार को फोन पर बात की। कहा स्मार्ट प्रीपेड मीटर की स्टैंडर्ड बिडिंग गाइड लाइन को बदलने पर विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि यह गाइडलाइन निजी घरानों के हित में बनाई गई है। इससे पहले यह टेंडर सैंपल की केंद्रीय लेबोरेटरी में जांच कराने के बाद खुलता था। इस बार इसका कोई सैंपल नहीं लिया गया। इससे बड़ा गड़बड़झाला होने की संभावना बढ़ गयी है, जिसे उपभोक्ताओं झेलना पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तृत पत्र भेजकर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग उठाई गई है। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से भी फोन पर बात कर स्टैंडर्ड वेडिंग गाइडलाइन को उद्योगपतियों के हित में बताते हुए उसको बदलने की मांग की है।
प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि पूरे देश में लगभग 25 करोड़ 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर भारत सरकार द्वारा जारी स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन के अनुसार लगाया जाना है। यह कहना गलत नहीं होगा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय पूरी गाइडलाइन बड़ी ही चालाकी से देश के बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनवा ली है। इस पर उपभोक्ता परिषद किसी भी तकनीकी डिबेट को करने के लिए तैयार है। इसकी सीबीआई जांच कराया जाना बहुत ही जरूरी हो गया है। बिजली कंपनियों को सोचना होगा कि जब तक वह 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीद की तैयार करेगी, तब तक यह तकनीकी बंद होने की कगार पर आ जाएगी। फिर 5जी की बात चलने लगेगी। ऐसे में कोई भी व्यवस्था लागू करने के पहले तकनीकी पर भी विचार होना चाहिए।
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में टेंडर का पार्ट वन खुला है। उसमें ज्यादातर देश के बड़े निजी घराने भाग ले रहे हैं। एक भी मीटर निर्माता कंपनी ने भाग नहीं लिया और उन्हीं का टेंडर खोला गया है। भारत सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलइन के अनुसार उत्तर प्रदेश में टेंडर को चार कलस्टर में जारी किया गया है। पहले उत्तर प्रदेश में टेंडर को आठ कलस्टर में जारी किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार के दबाव में इस टेंडर को निरस्त करा दिया गया, जिसकी जांच सीबीआई से कराए जाना बहुत ही आवश्यक है।
वर्तमान में प्रत्येक कलस्टर की लागत लगभग 6000 से 7000 करोड के बीच आएगी। ऐसे में चाह कर भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनियां इस टेंडर में भाग नहीं ले पाएंगी और फिर देश के बड़े निजी घराने बिचौलिया के रूप में टेंडर लेकर बड़ा लाभ कमाएंगे, जिसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा।
sहिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र(साभार )