आज है देव दीपावली, काशी की पवित्र भूमि पर उतरेंगे देवता
मान्यता है कि इस दिन 'देवता' काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दीपावली मनाते हैं
दीपावली के जैसे ही देव दीपावली का महत्व है भी सनातन हिंदू धर्म में है इस पर्व को भी हम दीपों का पर्व कहते हैं सम्पूर्ण भारत समेत यूपी के काशी एवं अन्य क्षेत्रों में बहुत ही धूमधाम से देव दिवाली मनाई जाती है. हर साल देव दीपावली का पर्व दीपावली के 15 दिनों के बाद ही मनाया जाता है ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की हिंदू धर्म शास्त्र एवं पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है लेकिन इस वर्ष इस दिन चंद्र ग्रहण(2022) भी पड़ रहा है ऐसे में देव दीपावली की तिथि को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है ग्रहण होने के कारण
इस वर्ष 7 नवंबर 2022 को देव दीपावली मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दीपावली मनाते हैं. काशी में गंगा नदी के तट पर एवं अन्य नदियों के तट पर दीपों का ये उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान वहां बहुत सजावट होती है, गंगा घाट पर हर ओर मिट्टी के दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं. ये दृश्य बहुत ही भव्य होता है जोकि शुभकारी होता है
पूजा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 7 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 12 मिनट से शुरू
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त – 8 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 35 मिनट तक
प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त – शाम 05 बजकर 120मिनट से 07 बजकर 45 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:42 से दोपहर 12:27 मिनट तक
देव दीपावली 2022 का महत्व
धर्म शास्त्र के मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसी कारण इस दिन को खुशियों के रूप में मनाया जाता है. इस राक्षस के वध होने से देवी-देवताओं से खुशियां मनाई थी और काशी की तट पर एवं अन्य नदियों के तट पर दीपक जलाए थे,इसी कारण हर साल इस दिन दीपदान और नदी में स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है
देव दीपावली की पूजा विधि
किसी भी शिव मंदिर में जाकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की धूप करें, अबीर चढ़ाएं, खीर पूड़ी, गुलाब के फूल चढ़ाएं। चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं और बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें- ‘ऊं देवदेवाय नम शुभ एवं कल्याणकारी होगा