हलषष्ठी है आज
संतान की दीर्घ आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इस दिन माताएं संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं
हिन्दू सनातन धर्म में भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलछठ का पर्व मनाया जाता है। इसे हलषष्ठी, ललई छठ और ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व बलराम जी को समर्पित है। नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र फूलपुर प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की ज्योतिष धर्म शास्त्र के मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के रूप में जन्म लिया था। हरछठ का व्रत संतान की दीर्घ आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इस दिन माताएं संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। इस व्रत को करने से पुत्र पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। परिवार में सुख-शांति एवं मनोकामना पूर्ण होती है
हलछठ तिथि
भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 4 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 38 मिनट प्रारंभ हो रही है। इसका समापन 05 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस वर्ष हलषष्ठी 05 सितंबर 2023* दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है।