आज है संकष्टी चतुर्थी, होती है गणेशजी की पूजा-उपासना

 

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिकेश शुक्ल
नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र फूलपुर प्रयागराज
सम्पर्क सूत्र 9450591477, 7017486639

सनातन धर्म में विशेष रूप से चतुर्थी तिथि श्री गणेशजी की पूजा-उपासना के लिए समर्पित होती है। शुक्लपक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक और माघ कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस वर्ष संकष्टी चतुर्थी का व्रत माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 जनवरी 2023 मंगलवार को रखा जाएगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी और लंबोदर संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। लोकभाषा में इसे ‘माघी चौथ’ या ‘तिलकुटा चौथ’ कहा जाता है।

हिंदू सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का अपना एक विशेष महत्व है। नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र से ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश एवं चौथ माता का पूजन करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।गणेश जी की विशेष कृपा पाने के लिए वैसे तो इस व्रत को कोई भी कर सकता है,लेकिन अधिकांश सुहागन स्त्रियां ही इस व्रत को परिवार की सुख- समृद्धि एवं सन्तान की प्राप्ति के लिए भी करती हैं नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गजानन की आराधना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि तथा घर -परिवार पर आ रही विघ्न -बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस चतुर्थी में चन्द्रमा के दर्शन एवं अर्घ्य देने से गणेश जी के दर्शन का पुण्य फल मिलता है।धन की इच्छा रखने वालों को हरे रंग के गणेशजी एवं जिनकी तबियत खराब रहती हो उन्हें लाल रंग के गणेशजी की पूजा करनी चाहिए।जिनकी संतान को किसी भी प्रकार का कष्ट हो,उन माताओं को इस दिन गणेशजी का व्रत एवं पूजा करनी चाहिए।

पूजाविधि

इस दिन प्रात:काल स्नान करके भगवान गणेश का ध्यान करते हुए ‘मम वर्तमानागामि-सकलानिवारणपूर्वक-सकल-अभीष्टसिद्धये गणेश चतुर्थीव्रतमहं करिष्ये’ इन पंक्तियों के साथ व्रत का संकल्प लें। सांयकाल लकड़ी के पाटे पर लाल कपडा बिछाकर मिट्टी के गणेश एवं चौथ माता की तस्वीर स्थापित करें। पूजा करने से पहले ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ हो। रोली,मोली,अक्षत,फल,फूल आदि श्रद्धा पूर्वक अर्पित करें। गणेशजी एवं चौथ माता को प्रसन्न करने के लिए तिल और गुड़ से बने हुए तिलकुटे का नैवेद्य अर्पण करें और आरती करें। चंद्रोदय होने पर ताँबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन,कुश ,पुष्प,अक्षत आदि डालकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का प्रारंभ 10 जनवरी2023दिन मंगलवार को दिन में 11 बजकर 08 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 जनवरी2023 को दिन में 2 बजकर 45 मिनट पर होगा। यह व्रत रात को चन्द्रोदय 08:22पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद खोला जायेगा है, इसलिए यह व्रत 10 जनवरी को ही मनाया जाएगा।

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