पंचायतों के लिए महत्वपूर्ण है आज की तारिख, 1992 में इसी दिन भारतीय संसद ने 73 वें संविधान संशोधन किया था पारित

तीसरी सरकार के संस्थापक डॉ. चंद्रशेखर प्राण ने 03 बजे से एक राष्ट्रीय विमर्श का किया है आयोजन आप भी हो सकते हैं शामिल

 

आज के दिन पंचायत को भारतीय राज्यव्यवस्था की तीसरी सरकार के रूप में किया गया था प्रतिष्ठित

देश भर में अपनी सामाजिक गतिविधियों के लिए ख्यातिलब्ध व् पंचायतों के संस्थागत विकास व सशक्तिकरण के लिए गतिमान तीसरी सरकार अभियान के अगुवा डॉ. चंद्रशेखर प्राण  का आमंत्रण पत्र आपके लिए पढ़िए और हो सके तो नीचे दिए लिंक से जुड़ कर शामिल हो जाइये।

 

प्रिय महोदय
ससम्मान अभिवादन

■ जैसा कि आप अवगत है 22 दिसंबर भारत के नागरिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दिवस है।1992 में इसी दिन भारतीय संसद ने 73 वें संविधान संशोधन के विधेयक पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर पंचायत को भारतीय राज्यव्यवस्था की तीसरी सरकार के रूप में प्रतिष्ठित किया था ।

■ इस विधेयक की स्वीकृति के बाद भारत का वयस्क नागरिक मतदाता के रूप में देश की लोकतांत्रिक प्रकिया में सही अर्थों में मालिक अर्थात स्वयं सरकार के रूप में शामिल किया गया । अर्थात इस तीसरी सरकार में उसकी भूमिका प्रत्यक्ष रूप से सिर्फ सरकार बनाने की ही नहीं बल्कि सरकार चलाने में भी हो गई। पहली (संघ) व दूसरी(राज्य) सरकार में जहां उसकी भूमिका सिर्फ इलेक्शन (चुनाव) तक सीमित थी वहीं इस तीसरी सरकार (सेल्फ गवर्नमेंट) में वह उसके गवर्नेंस(शासन) का भी संचालक बन गया ।

■ इसी के साथ वह अपने गांव के समावेशी विकास के लिए इस स्वशासन का सार्थक प्रयोग व उपयोग करने के लिए संवैधानिक रूप से अधिकृत हो गया ।

■ लेकिन ,आज अफसोस इस बात का है कि संविधान की इस भावना तथा निर्देश का सम्मान व अनुपालन सही रूप में ठीक नहीं हो पाया है । वर्तमान समय में जमीनीस्तर पर पंचायतों की स्थिति स्व- सरकार के रूप में न तो बन पाई है और न तो प्रतिष्ठित हो पाई है।
इसके नागरिक ,प्रशासन , शासन तथा सरकार सभी स्तरों पर कमियां दिखाई पड़ती हैं ।संविधान संशोधन व राज्य के अधिनियमों के प्रावधान से लेकर सभी स्तरों पर किये जा रहे कियान्वयन व प्रयास में व गहरे अंतराल व जटिल विसंगतियों का एक लंबा सिलसिला (लगभग 27 वर्षो से) दिखाई पड़ रहा है।

■ अतः स्वाभाविक रूप से वर्ष 2022 के अंत मेंआने वाले 22 दिसंबर को इस अंतराल व विसंगति पर गंभीरता से चिंतन ,मनन एवं विमर्श की आवश्यकता है । गांव के स्वराज्य व खुशहाली के लिए विचार व कर्म दोनों रूपों में प्रयासरत सुधीजनों व प्रयोग कर्ताओं के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे संविधान संशोधन की उस पूरक कार्यवाही की पहचान व खोज करें जिसके अभाव में जमीनी स्तर की सहभागी लोकतंत्र की यह मूल्यवान प्रकिया बाधित हो गई है ।

■ इसी विचार व दृष्टि के साथ तीसरी सरकार अभियान ने 22 दिसंबर 2022 को अपरान्ह 03 बजे ( PM ) से एक राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया है । जिसमें अपने अनुभवों एवं सुझावों को शेयर करने के लिए आप सादर आमंत्रित है ।

■ इस राष्ट्रीय सेमिनार का ओपन जूम लिंक इसके साथ संलग्न है ।कृपया इसमें शामिल होकर अपने विचार व अनुभव से इस विमर्श को एक सार्थक आयाम प्रदान करें । धन्यवाद

डॉ. चंद्रशेखर प्राण
डॉ. चंद्रशेखर प्राण

भवदीय
डॉ. चंद्रशेखर प्राण

सेमिनार का ओपन ज़ूम लिंक

https://us02web.zoom.us/j/7985540226?pwd=YUtyVkM4Q2treGxXQUgxRnc3eWJYUT

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