गणेश चतुर्थी : प्रथमेश के पूजन से कटेंगे कलेश, भक्तों के घर पधारेंगे श्री गणेश
शुभ मुहूर्त 11:01 Am से 01:38 Pm तक शुभकारी रहेगा
गाँव लहरिया न्यूज/पट्टी
सनातन धर्म में सुख-समृद्धि के प्रतीक, विघ्न विनाशक, सिद्धि विनायक, बुद्धि के अधिदेवता, अग्र पूज्य, वक्रतुण्ड, महोदर, लंबोदर आदि अपने गुण, प्रभाव और रूप से जाने जाने वाले भगवान श्रीगणेश जी का इस बार 19 सितंबर मंगलवार स्वाती नक्षत्र, ध्वज योग, पराक्रम योग साथ सूर्य-बुध के परिवर्तन योग के होते भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्रीगणेश जन्मोत्सव है जो की 28 सितंबर 2023 गुरुवार अनंत चतुर्दशी तक दस दिनों के लिए मनाया जाएगा
इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर होगी और 19 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी और 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत 19 सितंबर को ही रहेगी.वृश्चिक जो कि स्थिर लग्न है. 19 सितंबर के दिन सुबह 10 बजकर 54 मिनट से सुबह 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगा.
नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र फूलपुर प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया कीइस सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में आप पूरे मान-सम्मान, हर्षोल्लास और ढोल-नगाड़ों के साथ गणपति को अपने घर लाकर विराजमान करें और विधि-विधान से पूजा करें. शुभ संयोगों के संगम में निश्चित आपकी मनोकामना पूर्ण होकर धन-सम्पदा और खुशियों का खजाना ले आएं अपने घर.
घर पर स्थापित करने के लिए कैसी होनी चाहिए गणपति की प्रतिमा
गणपति के बाईं सूंड में चंद्रमा का प्रभाव होता है और जैसे चंद्रमा का स्वभाव है शांत-शीतल और सौम्य उसी तरह बाईं ओर वाले सूंड के गणपति हमारे लिए श्री, लक्ष्मी, आनंद, सुख-समृद्धि, यश व ऐश्वर्य के दायक होते हैं.
वहीं दाईं ओर सूंड वाले गणपति में सूर्य का प्रभाव होता हैं ऐसे गणपति की पूजा अधिकतर मंदिरों में की जाती है. क्योंकि उनकी नियमित तरीके से पूजा-पाठ, आराधना, आरती विधि-विधान पूर्वक करनी अत्यन्त आवश्यक है और जरा सी गलती मुसीबत बन सकती है.
आपने देखा होगा कि सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाले गणपति विराजमान हैं, जोकि अपने आपमें अद्भुत व अनुपम हैं. क्योंकि उनकी पूजा-अर्चना पूर्ण विधि-विधान व शास्त्रोत है.
इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि, यदि आप वास्तु दोष निवारण के लिए वास्तु गणपति विराजमान करते हैं तो उनकी सूंड दाईं ओर ही होगी और यदि पूर्ण रूप से सिद्ध व अभिमंत्रित श्वेतार्क गणपति की आप पूजा करते है तो वह साक्षात गणेश स्वरूप ही हैं