आज से होगी छठी मैया की पूजा

छठ पूजा करने वाले भक्तों को सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है

भारतीय हिन्दू सनातन धर्म प्रत्येक वर्ष लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की धर्म शास्त्र में मान्यता है कि छठ पूजा करने वाले भक्तों को सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। कहते हैं जो महिलाएं यह व्रत रखती हैं उनकी संतानों को दीर्घायु और सुख समृद्धि प्राप्त होती है।एवं संतान की प्राप्ति भी होती है इसके साथ यह व्रत करने से निरोगी जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है। छठ पर्व भारत के कुछ कठिन पर्वों में से एक है जो 4 दिवस तक चलता है। इस पर्व में 36 घंटे निर्जला (बिना पानी) का व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है। महिलाओं के साथ पुरुष भी यह व्रत करते हैं। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय होता है, इसके बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

छठ पूजा का प्रथम दिन

नहाय- खाए: 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार

कार्तिक शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी तिथि को छठ महापर्व कि पहली परंपरा का निर्वाह किया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाए-खाए के रूप में मनाया जाता है। इस परंपरा के अनुसार सबसे पहले घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के अन्य सभी सदस्य व्रती सदस्यों के भोजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। नियम के अनुसार, इस दिन भात, लौकी की सब्जी और अरहर की दाल ग्रहण किया जाता है और खाने में सिर्फ सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है।

छठ पूजा का द्वितीय दिन

खरना- 29 अक्टूबर 2022, शनिवार

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना के प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। खीर ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का व्रत रखा जाता है।

छठ पूजा का तृतीय दिन

अस्त सूर्य को अर्घ्य: 30 अक्टूबर 2022, रविवार

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा का मुख्य दिन माना जाता है। सायंकाल को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर जाते हैं। सभी छठव्रती तालाब या नदी किनारे सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं।

छठ पूजा की तिथि

कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2022, सुबह 05:47
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2022, सुबह 03:25
सूर्यास्त का समय: सायं 5:36 पर

छठ पूजा का चौथा दिन

उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022, सोमवार
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले भक्त पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद लोग प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करते हैं।

सूर्योदय का समय: प्रातः काल 06:27 पर होगा

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